रक्षाबन्धन: एक हिन्दू त्यौहार - 2015



रक्षाबन्धन एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।

अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी है। हिन्दुस्तान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य परस्पर भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है। इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।"

               गलकारी समय दोपहर 1.50 के बाद राखी बांधी जाएगी, राखी बांधने का श्रेष्ठ समय है। शुक्ल यजुर्वेद वाले ब्राह्मण दोपहर 01:50 के बाद जनेउ बदले. रक्षाबंधन यानी भाई -बहनके पवित्र रिश्तेका पवॅ, युं तो सभी रंग अच्छे है कींतु अगर राशि के अनुसार रंगकी राखी बांधी जाए तो वह विशेष लाभदायी होता है, आईए जाने कोनसी राशि वाले को कोनसे रंगकी राखी बांधे . यदि आपके भाईकी मेष ( अ.ल.ई) राशि है तो उन्हें लाल रंग की राखी बांधे, यह व्यक्ति को उर्जा देगी. यदि आपके भाईकी राशि वृषभ (ब.व.उ) है तो उन्हें सफेद रंगकी राखी बांधे , यह मानसिक शांति देगी. यदि आपके भाईकी राशि मिथुन (क.छ.घ) है तो उन्हें हरे रंग की राखी बांधे, यह उनकी विचार शक्ति बढाएगी. यदि आपके भाईकी राशि ककॅ (ड.ह) है तो उन्हें चमकीले सफेद रंगकी राखी बांधे, यह भावनात्मक रीश्ते को मजबुत बनाएगी. यदि आपके भाई की राशि सिंह (म.ट) है तो उन्हें गोल्डन पीले रंग या गुलाबी रंग की राखी बांधे, यह नेतृत्व प्रदान करेगी. यदि आपके भाई की राशि कन्या (प.ठ.ण) है तो उन्हें हरे रंगकी ❇ राखी बांधे, यह अच्छे परिणाम लाएगी. यदी आपके भाईकी राशि तुला (र.त) है तो उन्हें सफेद रंग की राखी बांधे , यह न्याय करने की शक्ति प्रदान करेगी. यदि आपके भाई की राशि वृश्चिक (न.य) है तो उनके लाल रंगकी राखी 🅾 बांधनी चाहीए, वह क्रोध को शांती एवम् रोगसे मुक्ति प्रदान करती है. यदि आपके भाईकी राशि धनु (भ.फ.ध) है तो उन्हें पीले रंग की राखी बांधे , यह उन्हें मानसिक शांति प्रदान करेगी. यदि आपके भाई की राशि मकर (ख.ज) है तो उन्हें नीले /ब्लु रंग की राखी बांधे, यह उन्हें कायॅमें सफलता प्रदान करेगी. यदि आपके भाई की राशि कुंभ ( ग.श.स) है तो उन्हें नीले / ब्लु रंग की राखी बांधे, यह उन्हें अच्छा व्यक्तित्व और मजबुत मनोबल प्रदान करेगी. यदि आपके भाई की राशि मीन (द.च) है तो उन्हें सुनहरे पीले रंग की राखी बांधे , यह उन्के मनको स्वस्थयता प्रदान करेगी. जिन भाईयो को अपनी बहन ना हो वह मित्र की बहन से या ब्राह्मण से राखी बंधाए, और यदि कोई बहन को भाई ना हो तो वह श्री कृष्ण भगवान को राखी बांधे.. रक्षाबंधन की बहुत बहुत शुभकामनाये। 〰〰

राजस्थान का पर्व "गणगौर"



सुखद एवं सौभाग्यशाली दाम्पत्य जीवन की कामना पूर्ति हेत...ु महिलाओं तथा इच्छित श्रेष्ठ वर प्राप्ति हेतु अविवाहित कन्याओं-युवतियों द्वारा राजस्थान में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक अठारह दिन तक चलने वाली गणगौर पूजा का राजस्थान में अति विशिष्ठ महत्व है l ईसर-गणगौर के रूप में की जाने वाली यह पूजा वस्तुत: शिव-पार्वती की ही पूजा है l नव विवाहित युवतियों के लिए विवाहोपरांत प्रथम वर्ष में यह पूजा आवश्यक मानी जाती है l होलिका दहन की भस्म और किसी तालाब-सरोवर के जल से ईसर-गणगौर की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं तथा उन्हें वस्त्रालंकारों से सुसज्जित किया जाता है l पूजा के लिए हरी दूर्वा,पुष्प,और जल लाने के लिए महिलाएं प्रति दिन प्रात: सुमधुर गीत गाती हुई किसी उद्यान में जाती हैं तथा सजे हुए कलशों में जल भर कर लाती हैं तथा कुमकुम, मेहंदी, तथा काजल आदि सौभाग्य की प्रतीक वस्तुओं से ईसर-गणगौर की पूजा करती हैं l यह पूजा मन्त्रों से नहीं बल्कि पारंपरिक गीतों से की जाती है l शीतलाष्टमी के दिन पुरानी प्रतिमाओं के साथ सुसज्जित नई काष्ठ की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाती हैं l सायंकाल में गणगौर की बिन्दोरियां भी निकाली जाती है l चैत्र शुक्ल तृतीया को प्रात:काल की पूजा के पश्चात सायंकाल में मंगल गीतों के साथ इन पूजित प्रतिमाओं का किसी तालाब,सरोवर या कुएँ पर जाकर विसर्जन किया जाता है l राजस्थान के राजघरानों द्वारा भी इस दिन पूरे राजसी ठाठ और लवाजमों , बैंड बाजों के साथ गणगौर की सवारी निकाली जाती है जो एक मेले का रूप धारण करती है l जयपुर में निकलने वाली सवारी न केवल स्थानीय लोगों बल्कि विदेशी सैलानियों के लिए भी विशेष आकर्षण का विषय है l आजकल विभिन्न महिला संगठन,समितियां अथवा आधुनिक महिला क्लब भी इस पर्व को धूम धाम के साथ मनाते हैं जिनमे नृत्य-गायन के अतिरिक्त अनेक प्रतियोगिताएँ भी सम्मिलित होती हैं l

राम राम - सा

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