ग्राम्य दर्पण
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गणेश पूजा |
भारतीय संस्कृति ग्राम प्रधान है। गांव के बिना भारत की कल्पना भी नही की जा सकती। यदि भारतीय संस्कृति को आज भी जीवित देख रहे हैं तो यह गांवों की बदौलत ही संभव हुआ है,अन्यथा विश्व की अन्य संस्कृतियों (प्राचीन) की तरह भारतीय संस्कृति भी कभी की विलुप्त हो गई होती। आज भी मानवता के सच्चे केंद्र गांव ही हैं। कृषि प्रधान देश होने की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था भी गांवों पर निर्भर है, तभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि गांवों का विकास होगा तो देश आर्थिक रूप से मजबूत होगा और आर्थिक मंदी का असर नहीं होगा।
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घूण |
हमारा गाँव चूड़ी अजीतगढ़ भोगोलिक स्थिति-प्रत्येक गांव का अपना एक इतिहास होता है। अपनी एक पहचान होती है। कुछ गांव सदियों पुराने हैं तो कुछ का जन्म कल की ही घटना हैं। ज्यों ज्यों आबादी बढती गई,गांवों का विस्तार होता गया। संख्या व आकार में भी बदलाव होता गया। चूड़ी अजीतगढ़ गाँव जोधा नामक व्यक्ति के नाम पर बसा हुआ जो पहले था (चूड़ी जोधान) अब चूड़ी अजीतगढ़ है जो खेतड़ी नरेश अजीतसिंह के नाम पर है।