इतिहास


राजा अजीतसिंह(King Ajit Singh)
राजा अजीतसिंह

चूड़ी अजीतगढ़ का इतहास बहुत पुराना है । चूड़ी अजीतगढ़ की बसावट के पीछे एक कहानी है जो की बुजुर्गो द्वारा बताई गई है । लगभग ११०० वर्ष पूर्व जोधा नामक व्यक्ति ने गाँव को बसाया था । जोधा कुल्हरी गोत्र का था और डीडवाना से आया था । उसके साथ उसके 3 दोस्त भी भी आये थे जिनमे एक खाती दूसरा हरिजन और तीसरा ब्रह्मण था । चारो दोस्तों को उनके पैत्रिक गाँव डीडवाना से निकाल दिया गया था । गाँव की बसावट की शुरुआत नेमानी कुवे से हुई थी । जो एक चमत्कारी बाबा ने अपनी शक्ति से बना दिया । कहते है कि जोधा और उनके दोस्तों को पानी पास के गाँव घोडीवारा जो कि चूड़ी अजीतगढ़ से 8 किलोमीटर दूर है वहा से पानी लाना पड़ता था वह पर उनका झगडा घोडीवारा के लोगो से हो गया अब उन्हें पानी समस्या हो गयी और वो गाँव को छोड़ चलने लगे लेकिन अचानक वहा एक बाबा प्रकट हुए उन्होंने उन्होंने अपनी पोटली से राख निकाली और पास खड़ी भेड़ पर फेकी और कहा कि ये भेड़ जहा जाकर खड़ी होगी वही आपको कुवा मिलेगा , भेड़ कुछ दूर जाकर खड़ी हो गयी और उन्होंने वहा जाकर मिटटी हटाई तो वहा बड़ा सा पत्थर निकला उस पत्थर को हटाया तो सुच में निचे कुवा निकला जो पानी से भरा हुआ था , कमाल कि बात यह है कि वोह पत्थर आज भी चूड़ी चतरपुरा के पुस्तकालय के पास रखा है । और कुवे कि भी अभी तक मरम्त नहीं हुई वोह आज भी वैसा का वैसा ही है । आज वो नेमानी कुवे के नाम से प्रसिद है । जोधा की शादी उसकी विधवा भाभी से हुई जिसे राजस्थान में चूड़ी पहनाना कहते है इसलिए इसका नाम चूड़ी जोधान रखा गया । जोधा के काफी वर्ष बाद राजा अजीतसिंह ने इसे अपनी तहसील के रूप में बसाया । राजा ने गाँव को जयपुर की तर्ज़ पर बसाया , गाँव के सबसे ऊँचे हिस्से पर अपना गढ़ बनवाया था । बड़ी - बड़ी सुंदर हवेलिया भी बनवाई जिनमे खुबसूरत चित्रकारी और नक्कासी की हुई है जो देखते ही बनती है । राजा अजीतसिंह जो की खेतड़ी के राजा थे उनका तहसील में आनाजाना कम हुआ करता था इसलये उन्होंने पोलिसे थाना और कैदियो के जेल बनवाई । वर्तमान में थाने की जगह पोस्ट ऑफिस है ।

गाँव की आबादी बढ़ाने के लिए राजा ने व्यापारियो , किसानो , कुम्हारों, खाती आदि गोत्र को गाँव लाकर बसाया।
राजा अजीतसिंह अपने परिवार के साथ(King Ajit Singh with his family)
राजा अजीतसिंह अपने परिवार के साथ
अब गाँव में अनेक गोत्र है जैसे - मुस्ल्लिम , जाट (कुल्हरी, रेवार,) , कुम्हार (बिनवाल, बारवाल, दादरवल, चेजारा ), ब्रह्मण (चोटिया, खंडेलवाल ), माली (जादम, कटारिया,), बनये(सराफ,मुरारका, सिंघानिया,मोदी ),राजपूत, करायला, नायक, खाती, सुनार इत्यादि है । राजा अजीतसिंह ने चूड़ी अजीतगढ़ पर काफी वर्षो तक राज किया लेकिन बाद में मुकुंदगढ़ के राजा मुकुन्दसिंह ने राजा अजीतसिंह से चूड़ी अजीतगढ़ को आजाद करवाया । चूड़ी अजीतगढ़ पर्यटन की दृष्टी से काफी लोकप्रिय है। गाँव के सुप्रसिद पर्यटन स्थल जैसे - नेमानी कोठी व शिव मंदिर है जो की शिव नारायण नमानी जी द्वारा बनवाए गए है । गाँव में काफी पुरानी हवेलिया है। गाँव में साफ सुथरी गलिया व चोडी गलिया है । वर्ष २००८ में राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल द्वारा तत्कालीन सरपंच श्री शिवकुमार कुल्हरी को निर्मल ग्राम का पुरुस्कार मिला था । उनको हरियाणा राज्य के हिसार जिले में सम्मानित किया गया था ।